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रामनामियों की अनोखी परंपरा: राम नाम गुदवाकर बनाते हैं खुद को मंदिर
अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण एक ऐतिहासिक घटना है। इस मंदिर के निर्माण से हिंदुओं में खुशी की लहर है। लेकिन इस बीच एक ऐसा संप्रदाय भी चर्चा में है, जो अपने शरीर पर राम नाम गुदवाता है। इस संप्रदाय को रामनामी संप्रदाय कहा जाता है। रामनामियों की संख्या लगभग 5,000 है और ये छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले में रहते हैं।
रामनामियों का मानना है कि भगवान राम सभी जगह मौजूद हैं। इसलिए वे अपने शरीर पर राम नाम गुदवाकर उन्हें अपने अंदर बसाते हैं। रामनामियों का मानना है कि राम नाम गुदवाने से उन्हें मोक्ष मिलता है।
रामनामियों की यह अनोखी परंपरा 1890 के दशक से चली आ रही है। इस परंपरा की शुरुआत परशुराम नाम के एक दलित व्यक्ति ने की थी। परशुराम का मानना था कि राम नाम ही सभी समस्याओं का समाधान है। इसलिए उन्होंने अपने शरीर पर राम नाम गुदवा लिया।
रामनामियों के लिए शरीर ही है मंदिर। वे अपने शरीर को साफ-सुथरा रखते हैं और हमेशा राम नाम का जाप करते हैं। रामनामियों का मानना है कि राम नाम ही उन्हें सही मार्ग दिखाता है।
रामनामियों की अनोखी परंपरा लोगों के बीच चर्चा का विषय है। कुछ लोग इसे अंधविश्वास मानते हैं, जबकि कुछ इसे आध्यात्मिकता का प्रतीक मानते हैं। लेकिन एक बात तो तय है कि रामनामियों का राम नाम के प्रति अटूट विश्वास है।