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पितृपक्ष में नई चीजों की खरीदारी के पीछे शास्त्रों का क्या मत है?
पितृपक्ष हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण अवधि है, जिसमें पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और श्राद्ध कर्म किए जाते हैं। इस दौरान कई तरह के नियम और निषेध भी होते हैं, जिनमें से एक है पितृपक्ष में नई चीजें खरीदना।
पितृपक्ष में नई चीजें खरीदने के पीछे कारण:
पितृपक्ष में नई चीजें खरीदने के पीछे कई कारण बताए जाते हैं। एक कारण यह है कि पितृपक्ष पूर्वजों को समर्पित है। इस दौरान पितरों की आत्मा अपने परिवार के सदस्यों के साथ रहती है। इसलिए, नई चीजों को खरीदने से पितरों को अप्रसन्नता हो सकती है।
दूसरा कारण यह है कि पितृपक्ष में लोग अपने पूर्वजों के लिए श्राद्ध कर्म करते हैं। इस दौरान दान-पुण्य करने का विशेष महत्व होता है। नई चीजों को खरीदने से दान-पुण्य का प्रभाव कम हो सकता है।
तीसरा कारण यह है कि पितृपक्ष में लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं। नई चीजों को खरीदने से पितरों की आत्मा को परेशानी हो सकती है।
शास्त्रों में क्या कहा गया है?
शास्त्रों में भी पितृपक्ष में नई चीजें खरीदने के खिलाफ कुछ बातें कही गई हैं। ब्रह्म पुराण के अनुसार, पितृपक्ष में नई चीजें खरीदने से पितरों को दुख होता है। इसलिए, इस दौरान नई चीजें खरीदने से बचना चाहिए।
पितृपक्ष में नई चीजें खरीदने से बचने के तरीके:
यदि आप पितृपक्ष में नई चीजें खरीदने से बचना चाहते हैं, तो आप निम्नलिखित तरीके अपना सकते हैं:
- पितृपक्ष से पहले ही अपनी सारी खरीदारी कर लें।
- यदि आपको पितृपक्ष के दौरान कुछ जरूरी सामान खरीदना है, तो किसी से उधार लेकर खरीद लें।
- पितृपक्ष के बाद नई चीजों की खरीदारी करें।
निष्कर्ष:
पितृपक्ष में नई चीजें खरीदने से बचना चाहिए। इससे पूर्वजों की आत्मा को दुख नहीं होता है और दान-पुण्य का प्रभाव भी अधिक होता है।