धर्म समाचार
पितृ पक्ष में पितरों को जल देने की विधि: जानें सही समय, मंत्र और सामग्री

पितृ पक्ष हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण अवधि है। इस अवधि में लोग अपने पूर्वजों को याद करते हैं और उन्हें जल, अन्न और फल आदि का भोग लगाते हैं। पितरों को जल देने की विधि को श्राद्ध कहा जाता है।
पितृ पक्ष में पितरों को जल देने से उनके आत्मा को शांति मिलती है और वे अपने वंशजों पर कृपा करते हैं। पितरों को जल देने से व्यक्ति को पुण्य भी मिलता है।
विधि:
पितृ पक्ष में पितरों को जल देने की विधि निम्नलिखित है:
- उचित स्थान का चयन:
पितरों को जल देने के लिए एक पवित्र स्थान का चयन करें। यह स्थान घर के बाहर हो सकता है, या किसी मंदिर या आश्रम में भी हो सकता है।
- सामग्री की व्यवस्था:
पितरों को जल देने के लिए निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है:
- जल
- चावल
- गाय के गोबर से बनी मिट्टी की आकृति
- अक्षत
- काले तिल
- कुशा
- फूल
- धूप
- दीप
- पूजा की तैयारी:
सबसे पहले, स्थान को साफ करें और उस पर एक चौकी या आसन बिछाएं। फिर, उस पर मिट्टी की आकृति रखें और उस पर चावल चढ़ाएं। इसके बाद, अक्षत, काले तिल, कुशा, फूल और धूप-दीप जलाएं।
- पितरों को जल चढ़ाना:
अब, हाथ में जल लेकर पितरों का ध्यान करें और उन्हें जल चढ़ाएं। जल चढ़ाते समय निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करें:
वसुरूपत् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः
- पितरों को भोग लगाना:
अब, पितरों को भोग लगाएं। भोग में फल, मिठाई, रोटी, चावल आदि शामिल हो सकते हैं।
- पितरों को विदा करना:
अंत में, पितरों को विदा करें और उनके आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करें।
विशेष बातें:
- पितरों को जल देने का सबसे अच्छा समय प्रातः 11:30 से 12:30 के बीच होता है।
- पितरों को जल देने के लिए तांबे या कांसे के लोटे का प्रयोग करें।
- पितरों को जल देते समय अपने गोत्र और अपने पिता का नाम लें।
- पितरों को जल देते समय किसी भी तरह का अशुद्ध व्यवहार न करें।
निष्कर्ष:
पितृ पक्ष में पितरों को जल देना एक महत्वपूर्ण कर्म है। इस कर्म को करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और वे अपने वंशजों पर कृपा करते हैं।
धर्म समाचार
सरना धर्म कोड: हिंदू धर्म कोड के अधीन आदिवासियों को क्यों नहीं रखा जा सकता?

भारत में आदिवासी समाज एक अलग पहचान और संस्कृति वाला समाज है। आदिवासी समाज के लोग अपने पारंपरिक धर्म और संस्कृति को मानते हैं। हिंदू धर्म कोड के तहत आदिवासियों को हिंदू माना जाता है, लेकिन आदिवासी समाज के लोग इस बात से सहमत नहीं हैं। आदिवासी समाज के लोग चाहते हैं कि उनके लिए एक अलग धर्म कोड हो, जिससे उनकी पहचान और अधिकारों की रक्षा हो सके।
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर आदिवासियों के लिए सरना धर्म कोड की मांग की है। सोरेन ने कहा है कि सरना धर्म कोड आदिवासियों के लिए समान नागरिक संहिता का विकल्प होगा।
सरना धर्म कोड की जरूरत क्यों है?
सरना धर्म कोड की जरूरत इसलिए है क्योंकि हिंदू धर्म कोड के तहत आदिवासियों को हिंदू माना जाता है। लेकिन आदिवासी समाज के लोग अपने धर्म को हिंदू धर्म से अलग मानते हैं। आदिवासी समाज के लोग प्रकृति की पूजा करते हैं और उनके पास अपने अलग-अलग देवी-देवता हैं।
सरना धर्म कोड आदिवासियों की पहचान और अधिकारों की रक्षा करेगा। सरना धर्म कोड के तहत आदिवासी समाज के लोगों को अपने धर्म और संस्कृति को मानने की स्वतंत्रता होगी।
सरना धर्म कोड का UCC पर क्या असर पड़ेगा?
सरना धर्म कोड का UCC पर कोई असर नहीं पड़ेगा। UCC एक सामान्य कानून है, जो सभी धर्मों के लोगों पर लागू होगा। सरना धर्म कोड आदिवासियों के लिए एक अलग कानून होगा, जो हिंदू धर्म कोड के साथ-साथ लागू होगा।
निष्कर्ष
सरना धर्म कोड आदिवासियों के लिए एक महत्वपूर्ण मांग है। सरना धर्म कोड आदिवासियों की पहचान और अधिकारों की रक्षा करेगा। सरना धर्म कोड के लागू होने से आदिवासी समाज को एक नई पहचान मिलेगी और उन्हें अपनी संस्कृति को संरक्षित करने का मौका मिलेगा।
धर्म समाचार
पितृपक्ष 2023: पितृदोष से मुक्ति पाने के महाउपाय

पितृपक्ष हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण अवधि है। इस दौरान लोग अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध और तर्पण करते हैं। माना जाता है कि पितृपक्ष में पितरों की आत्मा अपने परिवार के सदस्यों से मिलने आती है। यदि पितरों की आत्मा प्रसन्न होती है, तो वे अपने परिवार पर आशीर्वाद बरसाते हैं। लेकिन, यदि पितरों की आत्मा नाराज होती है, तो वे अपने परिवार को पितृदोष दे सकते हैं।
पितृदोष से मुक्ति पाने के लिए पितृपक्ष में कुछ विशेष उपाय किए जा सकते हैं। इन उपायों से पितरों की आत्मा प्रसन्न होती है और वे अपने परिवार को आशीर्वाद देते हैं।
पितृपक्ष में पितृदोष से मुक्ति पाने के उपाय:
- पितरों का श्राद्ध और तर्पण करें: पितृपक्ष में पितरों का श्राद्ध और तर्पण करना सबसे महत्वपूर्ण उपाय है। श्राद्ध और तर्पण से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और वे अपने परिवार को आशीर्वाद देते हैं।
- पितरों को भोजन और दक्षिणा दें: पितृपक्ष में पितरों को भोजन और दक्षिणा देने से भी उनकी आत्मा प्रसन्न होती है। आप पितरों के लिए घर पर भोजन बना सकते हैं या किसी मंदिर में भोजन का दान कर सकते हैं।
- पितरों के लिए दान करें: पितरों के लिए दान करना भी एक अच्छा उपाय है। आप पितरों के लिए वस्त्र, भोजन, अन्न, जल, फल, फूल, आदि का दान कर सकते हैं।
- पितरों के लिए मंत्रों का जाप करें: पितरों की आत्मा को प्रसन्न करने के लिए आप पितृ मंत्रों का जाप भी कर सकते हैं। पितृ मंत्रों का जाप करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
- पितरों के लिए व्रत करें: पितृपक्ष में पितरों के लिए व्रत भी रख सकते हैं। व्रत रखने से पितरों की आत्मा को प्रसन्न होता है और वे अपने परिवार पर आशीर्वाद बरसाते हैं।
पितरों की शांति के लिए पितृपक्ष में किए जाने वाले अन्य काम:
- पितरों की तस्वीर पर रोली, अक्षत, फूल, धूप, दीप, आदि अर्पित करें।
- पितरों के लिए गंगाजल का छिड़काव करें।
- पितरों को याद करते हुए पितृ गायत्री मंत्र का जाप करें।
- पितरों के लिए पवित्र ग्रंथों का पाठ करें।
- पितरों के लिए दान-पुण्य करें।
धर्म समाचार
रविवार, सोमवार, मंगलवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार और शनिवार को पैदा होने वाले लोगों का स्वभाव

ज्योतिष शास्त्र में, दिन के हिसाब से लोगों के स्वभाव और व्यक्तित्व का विश्लेषण किया जाता है। यह माना जाता है कि जिस दिन कोई व्यक्ति पैदा होता है, उस दिन का ग्रह उसके व्यक्तित्व को प्रभावित करता है।
रविवार को पैदा होने वाले लोग:
रविवार को सूर्य का दिन होता है। सूर्य को आत्मा और आत्मविश्वास का प्रतीक माना जाता है। रविवार को पैदा होने वाले लोग आत्मविश्वासी, स्वतंत्र और नेतृत्व करने वाले होते हैं। वे आमतौर पर भाग्यशाली होते हैं और जीवन में सफलता प्राप्त करते हैं।
सोमवार को पैदा होने वाले लोग:
सोमवार को चंद्रमा का दिन होता है। चंद्रमा को भावनाओं और मन का प्रतीक माना जाता है। सोमवार को पैदा होने वाले लोग भावुक, संवेदनशील और दयालु होते हैं। वे आमतौर पर कलात्मक और रचनात्मक होते हैं।
मंगलवार को पैदा होने वाले लोग:
मंगलवार को मंगल ग्रह का दिन होता है। मंगल को ऊर्जा और साहस का प्रतीक माना जाता है। मंगलवार को पैदा होने वाले लोग साहसी, उद्यमी और महत्वाकांक्षी होते हैं। वे आमतौर पर खेल और प्रतिस्पर्धा में सफल होते हैं।
बुधवार को पैदा होने वाले लोग:
बुधवार को बुध ग्रह का दिन होता है। बुध को बुद्धि और संचार का प्रतीक माना जाता है। बुधवार को पैदा होने वाले लोग बुद्धिमान, संवाद करने में कुशल और विश्लेषणात्मक होते हैं। वे आमतौर पर व्यवसाय और शिक्षा में सफल होते हैं।
गुरुवार को पैदा होने वाले लोग:
गुरुवार को बृहस्पति ग्रह का दिन होता है। बृहस्पति को ज्ञान और आध्यात्म का प्रतीक माना जाता है। गुरुवार को पैदा होने वाले लोग ज्ञानी, आध्यात्मिक और उदार होते हैं। वे आमतौर पर शिक्षा और धर्म में सफल होते हैं।
शुक्रवार को पैदा होने वाले लोग:
शुक्रवार को शुक्र ग्रह का दिन होता है। शुक्र को प्रेम और सौंदर्य का प्रतीक माना जाता है। शुक्रवार को पैदा होने वाले लोग आकर्षक, प्रेम करने वाले और कलात्मक होते हैं। वे आमतौर पर रिश्तों और सौंदर्य उद्योग में सफल होते हैं।
शनिवार को पैदा होने वाले लोग:
शनिवार को शनि ग्रह का दिन होता है। शनि को समय और कर्म का प्रतीक माना जाता है। शनिवार को पैदा होने वाले लोग मेहनती, जिम्मेदार और दृढ़ निश्चयी होते हैं। वे आमतौर पर व्यवसाय और कानून में सफल होते हैं।
निष्कर्ष:
दिन के हिसाब से लोगों के स्वभाव और व्यक्तित्व का विश्लेषण करना एक रोचक तरीका है। हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यह सिर्फ एक सामान्य विश्लेषण है। हर व्यक्ति अलग होता है और उसके स्वभाव और व्यक्तित्व को कई कारक प्रभावित करते हैं।
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