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धर्म समाचार

हरतालिका तीज पर न करें ये 5 गलतियां, वरना बर्बाद हो सकती हैं आपकी शादीशुदा जिंदगी

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Hartalika Vrat

हरतालिका तीज हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह एक निर्जला व्रत है जिसे महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुखमय वैवाहिक जीवन के लिए करती हैं। इस दिन महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करती हैं और उनके आशीर्वाद की कामना करती हैं।

हरतालिका तीज एक शुभ त्योहार है, लेकिन इस दिन कुछ ऐसी गलतियां भी हैं जो महिलाएं कर सकती हैं। इन गलतियों से उनके वैवाहिक जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

लेख:

यहां हरतालिका तीज पर महिलाओं द्वारा की जाने वाली 5 गलतियां दी गई हैं:

  1. काले रंग के कपड़े पहनना:

हिंदू धर्म में काले रंग को अशुभ माना जाता है। इसलिए, हरतालिका तीज पर काले रंग के कपड़े पहनना अशुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इससे पति के स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।

  1. क्रोधित होना या झगड़ा करना:

हरतालिका तीज एक शुभ दिन है। इस दिन महिलाओं को क्रोध, घृणा या किसी भी तरह के नकारात्मक विचारों से दूर रहना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इससे पति के जीवन में परेशानियां आ सकती हैं।

  1. पति से झूठ बोलना या धोखा देना:

हरतालिका तीज पर महिलाओं को अपने पति से पूरी तरह से ईमानदार रहना चाहिए। यदि वे पति से झूठ बोलती हैं या उन्हें धोखा देती हैं, तो इससे उनके रिश्ते में दरार पड़ सकती है।

  1. अन्य पुरुषों को देखना या उनके साथ बात करना:

हरतालिका तीज पर महिलाओं को अन्य पुरुषों को देखना या उनके साथ बात करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इससे पति के साथ विश्वासघात हो सकता है।

  1. व्रत को अधूरा रखना:

हरतालिका तीज एक निर्जला व्रत है। इस दिन महिलाओं को पूरे दिन पानी नहीं पीना चाहिए। यदि वे व्रत को अधूरा रखती हैं, तो इससे पति के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।

निष्कर्ष:

हरतालिका तीज एक महत्वपूर्ण त्योहार है। इस दिन महिलाओं को कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए ताकि उनके वैवाहिक जीवन पर कोई नकारात्मक प्रभाव न पड़े।

अतिरिक्त जानकारी:

यहां कुछ अतिरिक्त जानकारी दी गई है जो महिलाओं को हरतालिका तीज पर मददगार हो सकती है:

  • व्रत को तोड़ने के लिए सही समय:

हरतालिका तीज के दिन, महिलाएं शाम को भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के बाद व्रत तोड़ती हैं। व्रत तोड़ने के लिए सबसे अच्छा समय शाम 4 बजे से 6 बजे के बीच है।

  • व्रत तोड़ने के लिए सही भोजन:

हरतालिका तीज के दिन, महिलाएं मीठे व्यंजन खाकर व्रत तोड़ती हैं। कुछ लोकप्रिय व्रत तोड़ने के व्यंजनों में खीर, लड्डू, और हलवा शामिल हैं।

  • व्रत तोड़ने के बाद क्या करें:

हरतालिका तीज के दिन, महिलाएं अपने पति के साथ समय बिताती हैं और उनके साथ घूमती हैं। वे अपने पति को उपहार भी देती हैं।

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धर्म समाचार

सरना धर्म कोड: हिंदू धर्म कोड के अधीन आदिवासियों को क्यों नहीं रखा जा सकता?

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Sarna Dharma Code

भारत में आदिवासी समाज एक अलग पहचान और संस्कृति वाला समाज है। आदिवासी समाज के लोग अपने पारंपरिक धर्म और संस्कृति को मानते हैं। हिंदू धर्म कोड के तहत आदिवासियों को हिंदू माना जाता है, लेकिन आदिवासी समाज के लोग इस बात से सहमत नहीं हैं। आदिवासी समाज के लोग चाहते हैं कि उनके लिए एक अलग धर्म कोड हो, जिससे उनकी पहचान और अधिकारों की रक्षा हो सके।

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर आदिवासियों के लिए सरना धर्म कोड की मांग की है। सोरेन ने कहा है कि सरना धर्म कोड आदिवासियों के लिए समान नागरिक संहिता का विकल्प होगा।

सरना धर्म कोड की जरूरत क्यों है?

सरना धर्म कोड की जरूरत इसलिए है क्योंकि हिंदू धर्म कोड के तहत आदिवासियों को हिंदू माना जाता है। लेकिन आदिवासी समाज के लोग अपने धर्म को हिंदू धर्म से अलग मानते हैं। आदिवासी समाज के लोग प्रकृति की पूजा करते हैं और उनके पास अपने अलग-अलग देवी-देवता हैं।

सरना धर्म कोड आदिवासियों की पहचान और अधिकारों की रक्षा करेगा। सरना धर्म कोड के तहत आदिवासी समाज के लोगों को अपने धर्म और संस्कृति को मानने की स्वतंत्रता होगी।

सरना धर्म कोड का UCC पर क्या असर पड़ेगा?

सरना धर्म कोड का UCC पर कोई असर नहीं पड़ेगा। UCC एक सामान्य कानून है, जो सभी धर्मों के लोगों पर लागू होगा। सरना धर्म कोड आदिवासियों के लिए एक अलग कानून होगा, जो हिंदू धर्म कोड के साथ-साथ लागू होगा।

निष्कर्ष

सरना धर्म कोड आदिवासियों के लिए एक महत्वपूर्ण मांग है। सरना धर्म कोड आदिवासियों की पहचान और अधिकारों की रक्षा करेगा। सरना धर्म कोड के लागू होने से आदिवासी समाज को एक नई पहचान मिलेगी और उन्हें अपनी संस्कृति को संरक्षित करने का मौका मिलेगा।

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पितृपक्ष 2023: पितृदोष से मुक्ति पाने के महाउपाय

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Pitru Paksha

पितृपक्ष हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण अवधि है। इस दौरान लोग अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध और तर्पण करते हैं। माना जाता है कि पितृपक्ष में पितरों की आत्मा अपने परिवार के सदस्यों से मिलने आती है। यदि पितरों की आत्मा प्रसन्न होती है, तो वे अपने परिवार पर आशीर्वाद बरसाते हैं। लेकिन, यदि पितरों की आत्मा नाराज होती है, तो वे अपने परिवार को पितृदोष दे सकते हैं।

पितृदोष से मुक्ति पाने के लिए पितृपक्ष में कुछ विशेष उपाय किए जा सकते हैं। इन उपायों से पितरों की आत्मा प्रसन्न होती है और वे अपने परिवार को आशीर्वाद देते हैं।

पितृपक्ष में पितृदोष से मुक्ति पाने के उपाय:

  • पितरों का श्राद्ध और तर्पण करें: पितृपक्ष में पितरों का श्राद्ध और तर्पण करना सबसे महत्वपूर्ण उपाय है। श्राद्ध और तर्पण से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और वे अपने परिवार को आशीर्वाद देते हैं।
  • पितरों को भोजन और दक्षिणा दें: पितृपक्ष में पितरों को भोजन और दक्षिणा देने से भी उनकी आत्मा प्रसन्न होती है। आप पितरों के लिए घर पर भोजन बना सकते हैं या किसी मंदिर में भोजन का दान कर सकते हैं।
  • पितरों के लिए दान करें: पितरों के लिए दान करना भी एक अच्छा उपाय है। आप पितरों के लिए वस्त्र, भोजन, अन्न, जल, फल, फूल, आदि का दान कर सकते हैं।
  • पितरों के लिए मंत्रों का जाप करें: पितरों की आत्मा को प्रसन्न करने के लिए आप पितृ मंत्रों का जाप भी कर सकते हैं। पितृ मंत्रों का जाप करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
  • पितरों के लिए व्रत करें: पितृपक्ष में पितरों के लिए व्रत भी रख सकते हैं। व्रत रखने से पितरों की आत्मा को प्रसन्न होता है और वे अपने परिवार पर आशीर्वाद बरसाते हैं।

पितरों की शांति के लिए पितृपक्ष में किए जाने वाले अन्य काम:

  • पितरों की तस्वीर पर रोली, अक्षत, फूल, धूप, दीप, आदि अर्पित करें।
  • पितरों के लिए गंगाजल का छिड़काव करें।
  • पितरों को याद करते हुए पितृ गायत्री मंत्र का जाप करें।
  • पितरों के लिए पवित्र ग्रंथों का पाठ करें।
  • पितरों के लिए दान-पुण्य करें।
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धर्म समाचार

रविवार, सोमवार, मंगलवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार और शनिवार को पैदा होने वाले लोगों का स्वभाव

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Personality according to the day

ज्योतिष शास्त्र में, दिन के हिसाब से लोगों के स्वभाव और व्यक्तित्व का विश्लेषण किया जाता है। यह माना जाता है कि जिस दिन कोई व्यक्ति पैदा होता है, उस दिन का ग्रह उसके व्यक्तित्व को प्रभावित करता है।

रविवार को पैदा होने वाले लोग:

रविवार को सूर्य का दिन होता है। सूर्य को आत्मा और आत्मविश्वास का प्रतीक माना जाता है। रविवार को पैदा होने वाले लोग आत्मविश्वासी, स्वतंत्र और नेतृत्व करने वाले होते हैं। वे आमतौर पर भाग्यशाली होते हैं और जीवन में सफलता प्राप्त करते हैं।

सोमवार को पैदा होने वाले लोग:

सोमवार को चंद्रमा का दिन होता है। चंद्रमा को भावनाओं और मन का प्रतीक माना जाता है। सोमवार को पैदा होने वाले लोग भावुक, संवेदनशील और दयालु होते हैं। वे आमतौर पर कलात्मक और रचनात्मक होते हैं।

मंगलवार को पैदा होने वाले लोग:

मंगलवार को मंगल ग्रह का दिन होता है। मंगल को ऊर्जा और साहस का प्रतीक माना जाता है। मंगलवार को पैदा होने वाले लोग साहसी, उद्यमी और महत्वाकांक्षी होते हैं। वे आमतौर पर खेल और प्रतिस्पर्धा में सफल होते हैं।

बुधवार को पैदा होने वाले लोग:

बुधवार को बुध ग्रह का दिन होता है। बुध को बुद्धि और संचार का प्रतीक माना जाता है। बुधवार को पैदा होने वाले लोग बुद्धिमान, संवाद करने में कुशल और विश्लेषणात्मक होते हैं। वे आमतौर पर व्यवसाय और शिक्षा में सफल होते हैं।

गुरुवार को पैदा होने वाले लोग:

गुरुवार को बृहस्पति ग्रह का दिन होता है। बृहस्पति को ज्ञान और आध्यात्म का प्रतीक माना जाता है। गुरुवार को पैदा होने वाले लोग ज्ञानी, आध्यात्मिक और उदार होते हैं। वे आमतौर पर शिक्षा और धर्म में सफल होते हैं।

शुक्रवार को पैदा होने वाले लोग:

शुक्रवार को शुक्र ग्रह का दिन होता है। शुक्र को प्रेम और सौंदर्य का प्रतीक माना जाता है। शुक्रवार को पैदा होने वाले लोग आकर्षक, प्रेम करने वाले और कलात्मक होते हैं। वे आमतौर पर रिश्तों और सौंदर्य उद्योग में सफल होते हैं।

शनिवार को पैदा होने वाले लोग:

शनिवार को शनि ग्रह का दिन होता है। शनि को समय और कर्म का प्रतीक माना जाता है। शनिवार को पैदा होने वाले लोग मेहनती, जिम्मेदार और दृढ़ निश्चयी होते हैं। वे आमतौर पर व्यवसाय और कानून में सफल होते हैं।

निष्कर्ष:

दिन के हिसाब से लोगों के स्वभाव और व्यक्तित्व का विश्लेषण करना एक रोचक तरीका है। हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यह सिर्फ एक सामान्य विश्लेषण है। हर व्यक्ति अलग होता है और उसके स्वभाव और व्यक्तित्व को कई कारक प्रभावित करते हैं।

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