धर्म समाचार
सरना धर्म कोड: हिंदू धर्म कोड के अधीन आदिवासियों को क्यों नहीं रखा जा सकता?
भारत में आदिवासी समाज एक अलग पहचान और संस्कृति वाला समाज है। आदिवासी समाज के लोग अपने पारंपरिक धर्म और संस्कृति को मानते हैं। हिंदू धर्म कोड के तहत आदिवासियों को हिंदू माना जाता है, लेकिन आदिवासी समाज के लोग इस बात से सहमत नहीं हैं। आदिवासी समाज के लोग चाहते हैं कि उनके लिए एक अलग धर्म कोड हो, जिससे उनकी पहचान और अधिकारों की रक्षा हो सके।
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर आदिवासियों के लिए सरना धर्म कोड की मांग की है। सोरेन ने कहा है कि सरना धर्म कोड आदिवासियों के लिए समान नागरिक संहिता का विकल्प होगा।
सरना धर्म कोड की जरूरत क्यों है?
सरना धर्म कोड की जरूरत इसलिए है क्योंकि हिंदू धर्म कोड के तहत आदिवासियों को हिंदू माना जाता है। लेकिन आदिवासी समाज के लोग अपने धर्म को हिंदू धर्म से अलग मानते हैं। आदिवासी समाज के लोग प्रकृति की पूजा करते हैं और उनके पास अपने अलग-अलग देवी-देवता हैं।
सरना धर्म कोड आदिवासियों की पहचान और अधिकारों की रक्षा करेगा। सरना धर्म कोड के तहत आदिवासी समाज के लोगों को अपने धर्म और संस्कृति को मानने की स्वतंत्रता होगी।
सरना धर्म कोड का UCC पर क्या असर पड़ेगा?
सरना धर्म कोड का UCC पर कोई असर नहीं पड़ेगा। UCC एक सामान्य कानून है, जो सभी धर्मों के लोगों पर लागू होगा। सरना धर्म कोड आदिवासियों के लिए एक अलग कानून होगा, जो हिंदू धर्म कोड के साथ-साथ लागू होगा।
निष्कर्ष
सरना धर्म कोड आदिवासियों के लिए एक महत्वपूर्ण मांग है। सरना धर्म कोड आदिवासियों की पहचान और अधिकारों की रक्षा करेगा। सरना धर्म कोड के लागू होने से आदिवासी समाज को एक नई पहचान मिलेगी और उन्हें अपनी संस्कृति को संरक्षित करने का मौका मिलेगा।